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गिलहरी
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भाषाओं में नहीं थीं जगहें
न ही था इतना धैर्य कि
एक भागते हुए मन को आवाज़ देकर हौले-से रोक लें
बुला लें पास जिसमें न संदेह...
पंचतत्व (चींटी, तितली, पानी, गिलहरी और दरख़्त)
मेरे दोस्त
जब भी चलना
तो बाघ की तरह नहीं चलनाचलना चींटियों की तरह
सबके साथ बिना डरे, बिना थके,
बिना रुके, एकदम शान्त—केवल
अपने पथ परजब भी भरो...
एक पहाड़ और गिलहरी
"नहीं है चीज़ निकम्मी कोई ज़माने में
कोई बुरा नहीं क़ुदरत के कारख़ाने में..."Ralph Waldo Emerson की अंग्रेज़ी कविता 'The Mountain and The Squirrel' से प्रेरित अल्लामा इक़बाल की बच्चों के लिए एक नज़्म! पढ़िए! :)