Tag: Tasneef

Silwaton Se Bhara Khat - Tasneef

सिलवटों से भरा ख़त

पूरी रात बिस्तर पर ख़ामोशी थी, बाहर की तरफ़ से एक नीली रोशनी धीरे-धीरे अपना अक्स बड़ा करती जा रही थी और मैं सोच...
Abstract, Human

नज़्में : तसनीफ़

मैं और एक कुल्हाड़ी इस बग़ीचे में मैंने जितने पौदे लगाए हैं किसी दिन अपनी उदासी की कुल्हाड़ी से मैं ही उन्हें उखाड़ फेंकूँगा मेरे अंदर वहशत के बीज...
Tasneef

हसनैन जमाल के नाम एक ख़त (अपनी शायरी के हवाले से)

भाई हसनैन! आपने कई बार ग़ज़लें माँगीं और मैं हर बार शर्मिंदा हुआ कि क्या भेजूँ? ऐसा नहीं है कि पुराने शेरी मजमूए के बाद...
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