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Wali Deccani

सोहबत-ए-ग़ैर-मूं जाया न करो

सोहबत-ए-ग़ैर-मूं जाया न करो दर्द-मंदाँ कूँ कुढ़ाया न करो हक़-परस्ती का अगर दावा है बे-गुनाहाँ कूँ सताया न करो अपनी ख़ूबी के अगर तालिब हो अपने तालिब कूँ जलाया...
Wali Deccani

याद करना हर घड़ी उस यार का

याद करना हर घड़ी उस यार का है वज़ीफ़ा मुझ दिल-ए-बीमार का आरज़ू-ए-चश्मा-ए-कौसर नईं तिश्ना-लब हूँ शर्बत-ए-दीदार का आक़िबत क्या होवेगा मालूम नईं दिल हुआ है मुब्तिला दिलदार का क्या...
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