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टॉम फ़िलिप्स की कविताएँ
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
दुन्या मिखाइल की कविता ‘चित्रकार बच्चा’
इराक़ी-अमेरिकी कवयित्री दुन्या मिखाइल (Dunya Mikhail) का जन्म बग़दाद में हुआ था और उन्होंने बग़दाद विश्वविधालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। सद्दाम हुसैन...
दुन्या मिखाइल की कविता ‘दी इराक़ी नाइट्स’ के दो अंश
इराक़ी-अमेरिकी कवयित्री दुन्या मिखाइल का जन्म बग़दाद में हुआ था और उन्होंने बग़दाद विश्वविधालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। सद्दाम हुसैन के शत्रुओं...
सफ़ेद रात
पुराने शहर की इस छत पर
पूरे चाँद की रात
याद आ रही है वर्षों पहले की
जंगल की एक रात
जब चाँद के नीचे
जंगल पुकार रहे थे...
दस्तक
सुबह-सुबह इक ख़्वाब की दस्तक पर दरवाज़ा खोला, देखा
सरहद के उस पार से कुछ मेहमान आए हैं
आँखों से मानूस थे सारे
चेहरे सारे सुने-सुनाए
पाँव धोए,...
छोटा-सा सच
'बीस्ट्स ऑफ़ नो नेशन' के एक दृश्य से प्रेरित
युद्ध में लड़ता
क़त्ल-ए-आम मचाता कोई किशोर
यदि अपनी जान बचाने को
आत्मसमर्पण कर दे
तो पूछे जाने पर कहेगा
कि...
लौह-तर्पण
पाँच हज़ार साल पहले देवता ने धरती पर जन्म लिया था
ऐसा धर्मग्रन्थों में वर्णित है
एक लुहार का बेटा
लोहे का एक मज़बूत टुकड़ा लेकर कई...
पेरुमल मुरुगन की कविताएँ
Poems: Perumal Murugan
Book: 'Songs Of A Coward'
अनुवाद: आदर्श भूषण
अन्त्येष्टि की ख़बर
उस दिन, सड़क शमशान में तब्दील हो गयी
जो आए थे चिता को अग्नि...
घुँघरू परमार की कविताएँ
शीर्षासन
देश, जो कि हमारा ही है
इन दिनों
शीर्षासन में है।
इसे सीधा देखना है तो
आपको उल्टा होना होगा।
माथे में बारूद घुमड़ता रहता अक्सर
आधे हाथ नीचे धंसे...
जॉन गुज़लॉस्की की कविता ‘युद्ध और शान्ति’
कवि: जॉन गुज़लॉस्की
अनुवाद: देवेश पथ सारिया
युद्ध तुम्हें मार देगा
और ठण्डा पड़ा छोड़ देगा तुम्हें
गलियों में
या खेतों में
बमों से विध्वंस हुई इमारतों की
ईंटों की तरह
पर चिन्ता...
युद्ध पर पुनर्विचार
यह हज़ारों साल पुराना दुःख है
लाखों साल पुराना घाव,
यह इतिहास का सबसे काला पन्ना है
जिसे छूने पर
ख़ून का चिपचिपा
उँगलियों से चिपक जाता है
यह दुनिया के...
हमारे दिल सुलगते हैं
'Humare Dil Sulagte Hain', a poem by Shamsher Bahadur Singh
लगी हो आग जंगल में कहीं जैसे,
हमारे दिल सुलगते हैं।
हमारी शाम की बातें
लिये होती हैं...