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अभिलाषा, पहचान, युद्ध
Poems: Harshita Panchariya
अभिलाषा
माँगो तो मनोकामनाओं
के अंतिम अध्याय में
अपूर्ण रहने का वर माँग लेना
क्योंकि
अनेक सम्भावनाओं
का ठौर इतना सहज कहाँ?
पहचान
पहचानी जाऊँगी तो
संसार की उस मूर्ख स्त्री...
जंग
जंग इक जोश है
आग है, रोष है
बस उन्हीं के लिए
जिनको सरहद पे गोली चलाना नहीं
जिनके सीने किसी का निशाना
नहींजंग सौभाग है
जज़्ब है, त्याग है
बस उन्हीं के...
युद्ध के मैदान से परे
युद्ध में केवल सैनिक ही नहीं मरते
युद्ध मारक होता है कई अर्थों मेंयुद्ध के मैदान से परे
युद्ध मार करता है आत्मा के अंतिम छोर...
डरे हुए समय का कवि
तब डरे हुए समय का कवि वहाँ पर विराजमान था
जब बिना शहीद का दर्जा पाए लौट रहा था अर्धसैनिक शहीद
और स्वागत में लीपा जा रहा...
मगध के लोग
मगध के लोग
मृतकों की हड्डियाँ चुन रहे हैंकौन-सी अशोक की हैं?
और चन्द्रगुप्त की?
नहीं, नहीं
ये बिम्बिसार की नहीं हो सकतीं
अजातशत्रु की हैं,कहते हैं मगध के लोग
और...
युद्ध
कुरुक्षेत्र से कुवैत तक
धृतराष्ट्रों की आँखें फूट चुकी थीं
रक्त में जल रहा था अहंकार
घायल किए बिना नहीं लौटता
कोई भी अस्त्र
एक-एक अजातशत्रु आपस में जूझ रहे...