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Vijay Rahi

कविताएँ: मई 2021

महामारी में जीवन कोई ग़म नहीं मैं मारा जाऊँ अगर सड़क पर चलते-चलते ट्रक के नीचे आकर कोई ग़म नहीं गोहरा खा जाए मुझे खेत में रात को ख़ुशी की बात है अस्पताल...
Kunwar Narayan

दुनिया को बड़ा रखने की कोशिश

असलियत यही है कहते हुए जब भी मैंने मरना चाहा ज़िन्दगी ने मुझे रोका है। असलियत यही है कहते हुए जब भी मैंने जीना चाहा ज़िन्दगी ने मुझे निराश...
Girija Kumar Mathur

दो पाटों की दुनिया

चारों तरफ़ शोर है चारों तरफ़ भरा-पूरा है चारों तरफ़ मुर्दनी है भीड़ और कूड़ा है हर सुविधा एक ठप्पेदार अजनबी उगाती है, हर व्यस्तता और अधिक अकेला कर जाती है। हम...
Man, Sleep, Painting, Abstract, Closed Eyes, Face

ईश्वर आख़िर जागता क्यों नहीं?

सूरज चोरी चला गया है, एक जिस्म से ग़ायब है रीढ़ की हड्डी। सत्य, अहिंसा, न्याय, शांति सब किसी परीकथा के पात्र हैं शायद और उम्मीद गूलर के...
Man Bahadur Singh

आदमी का दुःख

राजा की सनक ग्रहों की कुदृष्टि मौसमों के उत्पात बीमारी, बुढ़ापा, मृत्यु, शत्रु, भय प्रिय-बिछोह कम नहीं हैं ये दुःख आदमी पर! ऊपर से जब घर जलते हैं तो आदमी के दिन...
Viren Dangwal

दुश्चक्र में स्रष्टा

कमाल है तुम्हारी कारीगरी का भगवान, क्या-क्या बना दिया, बना दिया क्या से क्या! छिपकली को ही ले लो, कैसे पुरखों की बेटी छत पर उलटा सरपट भागती छलती...
Rag Ranjan

मैं जहाँ कहीं से लौटा

मैंने कभी फूल नहीं तोड़े, जब भी उन्हें छुआ अपनी उंगलियों के पोरों पर एक सतर्क कृतज्ञता महसूस की मैंने किताबों में निशानदेही नहीं की कभी नहीं मोड़ा कोई...
Kaushal Kishore

दुनिया की सबसे सुन्दर कविता

कैसी है वह कितनी सुन्दर? इसे किसी प्रमेय की तरह मुझे नहीं सिद्ध करना है वह देखने में कितनी दुबली-पुतली क्षीण काया पर इसके अन्तर में है विशाल हृदय मैं क्या, सारी...
Natasha

दुनिया और हाथ

1 एक कवि ने कहा- 'दुनिया को हाथ की तरह गर्म और सुन्दर होना चाहिए'* यह बात दुनिया और हाथ दोनों के लिए अच्छी थी फिर एक दिन दुनिया की...
Dream

दो दुनिया

'Do Duniya', a poem by Niki Pushkar मेरी यह यात्रा दो दुनिया की है एक दुनिया, जो मेरे अन्तस की है जहाँ, ख़याली-आवास है मेरा वहाँ तुम्हारी नागरिकता बेशर्त मान्य...
God, Abstract Human

विलियम बी. ड्रीस की कहानी ‘सृष्टि कथा’

दार्शनिक, प्रशिक्षित भौतिकविज्ञानी और धर्मशास्त्री विलियम बी. ड्रीस 2015 से तिलबुर्ग स्कूल ऑफ ह्यूमनिटिज़ में डीन और प्रोफ़ेसर के रूप में सेवाएँ दे रहे हैं।...
Manjula Bist

स्त्री की दुनिया

'Stree Ki Duniya', a poem by Manjula Bist स्त्री की दुनिया बहुत संकीर्ण है उसे सम्भावनाओं में ही जीवन का विस्तार दिखता है। वे युद्ध-काल में गीतों...
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