Tag: Zindaginama

Krishna Sobti

कृष्णा सोबती – ‘ज़िन्दगीनामा’

कृष्णा सोबती के उपन्यास 'ज़िन्दगीनामा' से उद्धरण | Quotes from 'Zindaginama' by Krishna Sobti   "बच्चों, जुग चार होते हैं: सोता हुआ कलजुग छोड़ता हुआ द्वापर खड़ा हुआ त्रेता...

मौलवीजी, आपाँ चले! (ज़िन्दगीनामा से)

मौलवीजी ने फत्ते को बाहर झांकते देखा तो आवाज़ दे दी- "फत्तया, दर्रों के नाम गिना!" "खैबर, ख़ुर्रम, टोची, गोमल और जी रब्ब आपका भला करे, ईरान!" "ईरान कि 'बोलान'?" फत्ते को जाने की जल्दी थी सो लापरवाही से कहा- "अहो जी, कुछ भी हो हमारी तरफ से! अब छुट्टी कर दो! घर पहुँचते बनें। आसमान देखो। अंधेर घुप्प घेंर!"
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)