मैं हैरान और निहाल हूँ तुम्हें देखकर,
जीवन में मैंने तुमसे बड़ा अचरज नहीं देखा!

तुम नदी से बातें कर सकते हो
चिड़िया के साथ गा सकते हो
तुम्हारा बस चले तो किसी स्त्री की प्रसव पीड़ा समझने के लिए गर्भ धारण कर सकते हो!

तुम किसी किन्नर की मौत पर फूट-फूटकर रो सकते हो!
तुम किसी समलैंगिक की शादी में बधाई गा सकते हो!

तुम अपनी सारी डिग्रियाँ जलाकर मेरे साथ गाँव के भगवती देवी विद्या मंदिर में पढ़ सकते हो!

तुम अपनी उदास छोटी बहन की गुड़िया की साड़ी भाभी की ब्रांडेड लिपिस्टिक चुराकर रंग सकते हो!

तुम अपनी प्रेमिका के नये प्रेम के क़िस्से हँसकर सुन सकते हो!

दरवेश! तहज़ीबें चकित तुम्हें देखकर!
तुमने सारे मठों और मान्यताओं को तोड़कर
अनलहक को आत्मा का दस्तार बनाया!

तुम संसार के सारे युद्धस्तम्भों पर इश्क़ की इबारत लिख सकते हो!
और युद्धरत सारे हाथों में उनकी प्रेमिकाओं के पत्र थमा सकते हो!

रंगीले फ़क़ीर! अभिजात विद्रूपता को मुँह चिढ़ाकर
तुम मेरे डिहवा पर के मुसहरों की टोली में बैठकर महुआ की शराब पीकर रात-भर नाच सकते हो!

मैं तुम्हारे माथे पर चुम्बन का नज़र-टीका लगाती हूँ मेरे अजब प्रेमी!
मेरे साथ मेरी चिर लजाधुर संस्कृति भी अवाक है तुम्हें देखकर कि
तुम अपनी माँ को नवीन प्रेम में देख सकते हो।

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