स्तम्भों के नगर सालामिस की ओर जाने वाली सड़क पर चलते दो लोग एक जगह मिले। दोपहर के समय वे एक चौड़ी नदी पर पहुँचे। उसे पार करने के लिए कोई पुल नहीं था। उस पार जाने के लिए या तो उन्हें तैरना था या फिर कोई दूसरा रास्ता तलाशना था जिसे वे नहीं जानते थे।

वे आपस में कहने लगे, “हमें तैरना चाहिए। जो भी हो, नदी बहुत ज्यादा चौड़ी नहीं है।”

बस, वे नदी में कूद पड़े और तैरना शुरू कर दिया।

उनमें से एक ने, जिसे नदियों और उनके बर्ताव का पहले ही से ज्ञान था, मझधार में पहुँचकर शरीर को निश्चल छोड़ दिया ताकि जोर की लहर आए और उसे किनारे पर ले जा पटके। उसके विपरीत दूसरा, जो पहले कभी भी पानी में नहीं कूदा था, सीधे तैरता चला गया और उस पार जा खड़ा हुआ। यह देखकर कि उसका साथी अभी भी लहरों से कुश्ती लड़ रहा है, वह पुन: पानी में कूद पड़ा और उसे सुरक्षित बाहर खींच लाया।

बचाकर लाए हुए आदमी ने कहा, “लेकिन तुमने तो कहा था कि तुम्हें तैरना नहीं आता? फिर इतनी सफाई के साथ तुमने नदी को कैसे पार कर लिया?”

“दोस्त!” दूसरे ने उत्तर दिया, “मेरी कमर में बँधी इस बेल्ट को देख रहे हो? इसमें सोने के वे सिक्के भरे हैं जिन्हें मैंने अपनी पत्नी और बच्चों के लिए पूरे साल काम करके कमाया है। इस बेल्ट में बँधे सोने के वजन ने मुझे उस पार से इस पार मेरी पत्नी और बच्चों के निकट पहुँचा दिया। मेरी पत्नी और मेरे बच्चे मेरे कन्धों पर लदे थे, उन्हीं के कारण मैं तैर पाया।”

इसके बाद वे दोनों सालामिस की ओर बढ़ गए।

Previous articleएक आरज़ू
Next articleसिकुड़न
खलील जिब्रान
खलील जिब्रान (6 जनवरी, 1883 – 10 जनवरी, 1931) एक लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। आधुनिक अरबी साहित्य में जिब्रान खलील 'जिब्रान' के नाम से प्रसिद्ध हैं, किंतु अंग्रेजी में वह अपना नाम खलील ज्व्रान लिखते थे और इसी नाम से वे अधिक प्रसिद्ध भी हुए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here