‘Titliyaan’, a poem by Rajesh Joshi
हरी घास पर खरगोश
खरगोश की आँख में नींद
नींद में स्वप्न
चाँद का
चाँद में क्या?
चाँद में चरखा
चरखे में पोनी
पोनी में कतती
चाँदनी
चाँदनी में क्या?
चाँदनी में पेड़
पेड़ पर चिड़िया
चिड़ियों की चोंच में
संदेसा ऋतु का
ऋतु में क्या?
ऋतु में फूल
फूल पर तितलियाँ
हरी पीली लाल बैंजनी
रंगबिरंगी तितलियाँ
तितलियाँ
जैसे स्वप्न पंखदार
जैसे बहुरंगी आग के टुकड़े
उड़ते हुए
तितलियाँ
आती हैं घरों में
बिना आवाज़, बेखटके
जवान होती लड़की के बदन पर
बैठती हैं
उड़ जाती हैं
कि ‘छू लिया’
प्रेम होगा अब तुझे किसी से
तितलियाँ ही तितलियाँ
तितलियों पर आँखें
लड़की की
लड़की की आँखों में क्या?
तितलियाँ!!
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