नेओमी शिहैब नाय (Naomi Shihab Nye) का जन्म सेंट लुइस, मिसौरी में हुआ था। उनके पिता एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी थे और उनकी माँ जर्मन और स्विस मूल की एक अमेरिकी थीं। उन्होंने अपनी किशोरावस्था यरूशलम और टेक्सास दोनों में बितायी। उन्होंने सैन एंटोनियो में ट्रिनिटी यूनिवर्सिटी से बी.ए. किया। नेओमी को अपने काम के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

प्रस्तुत कविता पोएट्री फ़ाउंडेशन पर उपलब्ध नेओमी शिहैब नाय की कविता ‘Trying to Name What Doesn’t Change’ का हिन्दी अनुवाद है, अनुवाद योगेश ध्यानी ने किया है।

जो नहीं बदलता, उसे पहचानने की कोशिश

‘Trying to Name What Doesn’t Change’ from Words Under the Words: Selected Poems

रोज़ेल्वा यक़ीन से कहती है
इकलौती चीज़ जो कभी नहीं बदलती, रेल की पटरी है
रेल बदलती है, पटरी के किनारे जम जाती है खरपतवार
लेकिन पटरी नहीं बदलती।
कहती है, तीन साल से देख रही हूँ मैं एक पटरी को
न वह मुड़ती है, न टूटती है, न बढ़ती है।

पीटर को पक्का यक़ीन नहीं है।
उसने सबीना, मैक्सिको के पास देखी थी एक पटरी
जो अब इस्तेमाल में नहीं थी।
वो कहता है, रेल के बिना बदल जाती है रेल की पटरी
उसकी धातु नहीं थी पहले-सी चमकदार
टूट गयी थीं बीच की लकड़ियाँ
और कुछ जोड़ ग़ायब हो चुके थे।

मोराल स्ट्रीट पर, हर मंगलवार
कसाई सैकड़ों मुर्ग़ियों की गर्दन मरोड़ देते हैं।
झुके हुए मकान वाली विधवा
अपने पेय में मिलाती है दालचीनी।
उससे पूछना, क्या है जो नहीं बदलता।

तारे फूटते हैं
गुलाब ऐसे सिकुड़ता है जैसे उसकी पंखुड़ियों में हो आग
बिल्ली जो मुझे जानती थी, झाड़ियों के नीचे दफ़ना दी जाती है।

रेल की सीटी अब भी है उस पुरातन आवाज़ की तरह
लेकिन जब वह दिमाग़ की सतह से सिमटती हुई चली जाती है दूर
तो हर बार ले जाती है कुछ अलग, अपने साथ।

नेओमी शिहैब नाय की कविता 'हथेली की मुट्ठी'

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