तुम अगर बादल बन जाओ
तुम्हें तकिया बना कर
मैं सो जाऊं कुछ देर..
ठंड लगे तो छुप जाऊं तुम में
ओढ़ लूं तुम्हें अपने चारों ओर..
जो डर से सिहर उठूं कभी तो
लिपट जाऊं तुम से ही..
तलवों के नीचे नर्म मुलायम
छुअन महसूस हो तुम्हारी
तो तालियां बजाते हुए कूद पड़ूं मैं..
तुम अगर बादल बन जाओ
तो भीग लूं तुम में
और.. धुल जाऊं मैं…
घुल जाऊं मैं… तुम में ही।

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