एक छोटे बच्चे को
हाथ के इशारे से
सुदूर एक जगह दिखायी गई
जहाँ असम्भव घटित होता है
जहाँ नभ चूम लेता है धरा के माथे को

बच्चों को कहाँ पता
कि छलावा है यह, सच्चाई नहीं
बड़े होने पर एक सवाल करेंगे
धरा और नभ की
जुदाई का सबब क्या है?

वह बच्चा
छलावे के प्रति चमकृत होने को दौड़ पड़ता है

तुम्हारे प्रेम में
मैं एक छोटा बच्चा होने की ख़्वाहिश रखता हूँ
जो दौड़ पड़े
उस सच के लिए जो उसका अपना हो
मतलब क्या उसको ज़माने से!

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विक्रांत मिश्र
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से हैं। साहित्य व सिनेमा में गहरी रुचि रखते हैं। किताबें पढ़ना सबसे पसंदीदा कार्य है, सब तरह की किताबें। फिलहाल दिल्ली में रहते हैं, कुछ बड़ा करने की जुगत में दिन काट रहे हैं।