साहेब से मिलने किसान आया है
साथ में रेहु मच्छली भी लाया है
साहेब व्यस्त हैं कुछ लिखने-पढ़ने में
बीच-बीच में चाह की घूंट भी ले लेते हैं
और फिर यथावत व्यस्त हो जाते हैं
ये यथावत व्यस्तता ही तो
आखिर उन्हें साहेब बनाती है
एवं ठीक यही यथावत व्यस्तता
किसान को सदैव हाथ जोड़कर
साहेब के सामने खड़ा रहना सिखाती है।
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