‘Wo Striyaan’, a poem by Menaxi Saurabh

वो स्त्रियाँ पुरुषों को पसन्द आती हैं
जो दिखाने के लिए जिजीविषा से भरपूर होती हैं
सर्फ़ में भिगोए कपड़ों को रगड़ते हुए
जीवन का हर मैल धोने का उपक्रम करती हैं
बच्चों की किताबों को बैग में रखते हुए
अपने टूटे, मुड़े-तुड़े सपने भी सहेज देती हैं
ठूँस देती हैं पतले तकियों में जो अपनी
अधूरी इच्छाओं की रूई
मन पर लगे लाखों पैबंदों को छिपाकर
परदों पर लटकी झालर में अरमान अपने सिल देती हैं
जो ज़माने के हज़ारों रंगों से अन्यमनस्क-सी
रसोई में ही पूरा इंद्रधनुष जी लेती हैं
जो स्त्रियाँ सवाल नहीं करतीं, सलाह नहीं देतीं
पलटवार भी नहीं करतीं,
बस रोबोट-सी यंत्रवत ज़िन्दगी जीती हैं
वो स्त्रियाँ ही पुरुषों को पसन्द आती हैं…

Previous articleपीपल-सी लड़कियाँ
Next articleशब्द और मौन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here