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डैमोक्रैसी
पार्क के कोने में
घास के बिछौने पर लेटे-लेटे
हम अपनी प्रेयसी से पूछ बैठे—
क्यों डियर!
डैमोक्रैसी क्या होती है?
वो बोली—
तुम्हारे वादों जैसी होती है!
इंतज़ार में
बहुत तड़पाती...
बंजारा
मैं बंजारा
वक़्त के कितने शहरों से गुज़रा हूँ
लेकिन
वक़्त के इस इक शहर से जाते-जाते मुड़ के देख रहा हूँ
सोच रहा हूँ
तुमसे मेरा ये नाता...
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।
सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से,
क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है।
इस...
अलग-साथ समय
उसका समय
मेरे समय से अलग है—
जैसे उसका बचपन, उसकी गुड़ियाँ-चिड़ियाँ
यौवन आने की उसकी पहली सलज्ज पहचान अलग है।
उसकी आयु
उसके एकान्त में उसका प्रस्फुटन,
उसकी इच्छाओं...
प्रेम करना गुनाह नहीं है
हम सामाजिक परम्पराओं से निर्वासित हुए लोग थे
हमारे सर पर आवारा और उद्दण्ड का ठीकरा लदा था
हम ने किसी का नुक़सान नहीं किया था
न ही नशे में गालियाँ...
गुलाबी अयाल का घोड़ा
मुझे स्वतंत्रता पसन्द है
वह बढ़िया होती है समुद्र-जैसी
घोड़ा
आओ, उसका परिचय कर लेंगे
शतकों की सूलि पर चढ़ते हुऐ
उसने देखा है हमें
अपना सबकुछ शुरू होता है...
भारी समय में
थोड़ा-सा चमकता हुआ
थोड़ा चमक खोता हुआ
आता है समय
ख़ुद को बचाता हुआ
ख़ुद को बिखराता हुआ
एक वज़नहीन कोहरे में लिपटा यह समय
कितना भारी हो गया है
मैं...
वह आवाज़ जिसने करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध किया
किताब अंश: 'मोहम्मद रफ़ी - स्वयं ईश्वर की आवाज़'
उस आवाज़ की तारीफ़ को चंद शब्दों में समेट पाना ज़रा मुश्किल है, जिसकी शख़्सियत का...
प्रेम
वह औरत आयी और धीरे से
दरवाज़े का पर्दा उठा
भीतर खिल गई
कमरों के पार आख़िरी कमरे की
रोशन फाँक से
तब से मुझे घूर रही है
पर दीवार की...
नाज़िम हिकमत : रात 9 से 10 के बीच की कविताएँ
अनुवाद: मनोज पटेल (पढ़ते-पढ़ते से साभार)
(पत्नी पिराए के लिए)
21 सितम्बर 1945
हमारा बच्चा बीमार है।
उसके पिता जेल में हैं।
तुम्हारे थके हाथों में तुम्हारा सर बहुत...