(4 मई, 1905 - 9 सितम्बर, 1948)
‘अख्तर' शीरानी उर्दू का सबसे पहला शायर है जिसने प्रेयसी को प्रेयसी के रूप में देखा अर्थात् उसके लिये स्त्रीलिङ्ग का प्रयोग किया। इतना ही नहीं, उसने बड़े साहस के साथ बार-बार उसका नाम भी लिया। रूढ़ियों के प्रति इस विद्रोह द्वारा न केवल उर्दू शायरों के दिलों की झिझक दूर हुई और उर्दू शायरी के लिये नई राहें खुलीं, उर्दू शायरी को एक नई शैली और नया कोण भी मिला और उर्दू की रोती-बिसूरती शायरी में ताजगी और रंगीनी आई।
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
सामान्यता
मुझे बाल्टिक समुद्र का
भूरा पानी याद है!
16 डिग्री तापमान की
अनंत ऊर्जा का
भीतरी अनुशासन!बदसूरत-सी एक चीख़
निकालती है पेट्रा और उड़
जाता है आकाश में
बत्तखों...
विनीता अग्रवाल बहुचर्चित कवियित्री और सम्पादक हैं। उसावा लिटरेरी रिव्यू के सम्पादक मण्डल की सदस्य विनीता अग्रवाल के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
औंधा पड़ा सपना
प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!मत...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...