हंस, स्त्रीकाल, चौपाल, कथादेश, मधुमती, अभिनव इमरोज़, अहा! ज़िंदगी, समकालीन जनमत, पोषम पा, हस्ताक्षर, प्रभात ख़बर (पटना और रांची) आदि पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।उर्दू के प्रगतिशील शा'यर ज़फ़र गोरखपुरी के दोहों और निदा फ़ाज़ली की कुछ चुनिंदा नज़्मों का उर्दू से हिन्दी में अनुवाद।फोटोग्राफी, चित्रकला और सिनेमा में विशेष रूचि।संपर्क : [email protected]
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...