अरुण कमल (जन्म-15 फरवरी, 1954) आधुनिक हिन्दी साहित्य में समकालीन दौर के प्रगतिशील विचारधारा संपन्न, सहज शैली के प्रख्यात कवि हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त इस कवि ने कविता के अतिरिक्त आलोचना भी लिखी हैं, अनुवाद कार्य भी किये हैं तथा लंबे समय तक सुप्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका आलोचना का संपादन भी किया है।
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...