भुवनेश्वर हिंदी के प्रसिद्ध एकांकीकार, लेखक एवं कवि थे। भुवनेश्वर साहित्य जगत का ऐसा नाम है, जिसने अपने छोटे से जीवन काल में लीक से अलग किस्म का साहित्य सृजन किया। भुवनेश्वर ने मध्य वर्ग की विडंबनाओं को कटु सत्य के प्रतीरूप में उकेरा। उन्हें आधुनिक एकांकियों के जनक होने का गौरव भी हासिल है। एकांकी, कहानी, कविता, समीक्षा जैसी कई विधाओं में भुवनेश्वर ने साहित्य को नए तेवर वाली रचनाएं दीं। एक ऐसा साहित्यकार जिसने अपनी रचनाओं से आधुनिक संवेदनाओं की नई परिपाटी विकसित की। प्रेमचंद जैसे साहित्यकार ने उनको भविष्य का रचनाकार माना था।
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
सामान्यता
मुझे बाल्टिक समुद्र का
भूरा पानी याद है!
16 डिग्री तापमान की
अनंत ऊर्जा का
भीतरी अनुशासन!बदसूरत-सी एक चीख़
निकालती है पेट्रा और उड़
जाता है आकाश में
बत्तखों...
विनीता अग्रवाल बहुचर्चित कवियित्री और सम्पादक हैं। उसावा लिटरेरी रिव्यू के सम्पादक मण्डल की सदस्य विनीता अग्रवाल के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
औंधा पड़ा सपना
प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!मत...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...