जब तक थे वे
जंगलों में
मांदर बजाते, बाँसुरी बजाते
करते जानवरों का शिकार
अधनंगे शरीर
वे बहुत भले थे
तब तक उनसे अच्छा था नहीं दूसरा कोई
नज़रों में तुम्हारी
छब्बीस...
दूसरे-दूसरे कारणों से मारा जाऊँगा
बहुत अधिक सुख से
अकठिन सहज यात्राविराम से
या फिर भीतर तक बैठी
जड़ शान्ति से
लेकिन नहीं मरूँगा
कुशासन की कमीनी चालों से
आए दिन के...