चल अँधेरे के मुँह को काला कर
खिड़कियाँ खोल दे उजाला कर

इक ना एक दिन तो काम आएंगे
आस्तीनों में सांप पाला कर

दें मिसालों में सब तेरी ही मिसाल
काम ऐसा कोई निराला कर

गुफ़्तगू कर बड़े सलीके से
गिरते मेयार को संभाला कर

चाँद छत पर उदास बैठा है
घर से बाहर उसे निकाला कर!