अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की
कोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानों की
अपनी पोशाक से हुश्यार कि ख़ुद्दाम-ए-क़दीम
धज्जियाँ माँगते हैं अपने गरेबानों...
लो आज समुंदर के किनारे पे खड़ा हूँ
लो आज समुंदर के किनारे पे खड़ा हूँ
ग़र्क़ाब सफ़ीनों के सिसकने की सदा हूँ
इक ख़ाक-ब-सर बर्ग हूँ, टहनी से जुदा हूँ
जोड़ेगा मुझे कौन कि...
रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे
रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे
ग़म का तूफ़ाँ तो बहुत तेज़ था, ठहरा कैसे
हर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ
मिलना चाहूँ...
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
तुम ने ठहरायी अगर ग़ैर के घर जाने...
अभी आँखें खुली हैं और क्या-क्या देखने को
अभी आँखें खुली हैं और क्या-क्या देखने को
मुझे पागल किया उसने तमाशा देखने को
वो सूरत देख ली हम ने तो फिर कुछ भी न...
समझ में ज़िन्दगी आए कहाँ से
समझ में ज़िन्दगी आए कहाँ से
पढ़ी है ये इबारत दरमियाँ से
यहाँ जो है तनफ़्फ़ुस ही में गुम है
परिंदे उड़ रहे हैं शाख़-ए-जाँ से
मकान-ओ-लामकाँ के...
तुझे खोकर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ
तुझे खोकर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ
हुस्न-ए-यज़्दाँ से तुझे हुस्न-ए-बुताँ तक देखूँ
तूने यूँ देखा है जैसे कभी देखा ही न था
मैं तो दिल...
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।
सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से,
क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है।
इस...
तवज्जोह तो अब ख़ैर क्या पाएँगे
ग़ज़लें : आलोक मिश्रा
1
तवज्जोह तो अब ख़ैर क्या पाएँगे
मगर दिल की ख़ातिर चले जाएँगे
भटकते रहेंगे तुम्हारे ही गिर्द
निगाहों में लेकिन नहीं आएँगे
कहाँ हैं अलग...
कुटिया में कौन आएगा इस तीरगी के साथ
कुटिया में कौन आएगा इस तीरगी के साथ
अब ये किवाड़ बंद करो ख़ामुशी के साथ
साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का
उम्मीद बाँधिए न...
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
दिल में इक लहर-सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभी
शोर...
आह जो दिल से निकाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी
इस नज़ाकत पर ये शमशीर-ए-जफ़ा
आप से क्यूँकर सम्भाली जाएगी
क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद...