पुराने अख़बार से
टोपियाँ बनायीं आज मैंने
अमलताश की शाख से
टूटी पत्ती से पूछा मैंने
ज़मीन से क्या कहना है?
अलगनी से पूछा
मेरी कमीज़ की खूशबू
पहचानती हो?
और पूछा रोशनदान में डेरा डाले
कबूतर के जोड़े से
यूँ मलंग रहने का
हौसला कहाँ से लाते हो?
ख़ाली वक़्त कितना कुछ सिखा देता है!