‘Khurchan’, a poem by Pratibha Gupta

लड़कियाँ जिन्होंने लिखनी चाहीं कविताएँ,
जिनके हाथों में क़लम-किताब के बजाय
थमा दिया गया झाड़ू और पोछा का कपड़ा,
उन्होंने शब्दों में उकेरी सबसे ज़्यादा वास्तविकताएँ
छी: छी:, एह्हें, कपड़े की तह किसने बिगाड़ी
कलमुहा कहीं का, धत्त तेरी की
लड़कियाँ जिनके हिस्से में आयीं क़लम-किताब और आघातें
लिख डाला भर-भर के पन्ना अपना दु:ख
लड़कियाँ जिनके हिस्से में आयीं केवल आघातें और झाड़ू-पोछा
छौंक दिया दाल जीरा, मिर्च, लहसुन और क्रोध से
पटक दिया एक दिन ज़मीन पर दाल का बर्तन
सुना दी महरी को खरी-खोटी
लड़कियों ने उस दिन जले दाल के बर्तन में
महरी को कविता खुरच के दिखायी।

प्रतिभा किरण
प्रतिभा किरण अवध के शहर गोण्डा से हैं। गणित विषय में परास्नातक प्रतिभा आजकल सोशल मीडिया के हिन्दी प्लैटफॉर्म हिन्दीनामा को साहित्य के प्रचार-प्रसार में सहयोग कर रहीं हैं।