धन आयुष के तेरह
रूप शृंगार के चौदह
यम के और निचिकेता के
अमा आलोक के
सियाराम लखन के
असुरों के वध के
सागर रत्नों के
लक्ष्मी के भी
वैकुण्ठ लौटते विष्णु के
नई फसल और नये साल के
गोवर्धन और दूज के
प्रेम और ख़ुशियों के
दीपों की अवली
प्रियवर तुम भी खूब सजाना…