मुझे ये डर
हमेशा सताता है
कि उसके आए बिना ही
कहीं मेरी नब्ज़
रुक न जाए
मेरी सांसें थम न जाएँ
किसी रात रगों में दौड़ता लहू
बर्फ़ की तरह
जम न जाए
मेरा शरीर कहीं
मृत न घोषित कर दिया जाए
जिस एक क्षण के इंतज़ार में
मैंने असंख्य
अनचाहे क्षणों को
अपने भीतर से
गुज़र जाने दिया!