विवरण: “मुज़फ़्फ़र साहब की शायरी फ़लक से गुनगुनाती हुई गिरती बरसात की बूँदों की याद दिलाती है जिसमें लगातार भीगते रहने का मन करता है। भाषा की ऐसी मिठास, ऐसी रवानी और कहीं मिलना दुर्लभ है ये ख़ासियत उनकी एक आध नहीं, सभी ग़ज़लों में दिखाई देती है। एक बात पक्की है कि मुज़फ़्फ़र साहब की बुलन्द शख़्सियत और बेजोड़ शायरी पर ऐसी कई पोस्ट्स भी अगर लिखें तो कामयाबी हासिल नहीं होगी, मैंने तो सिर्फ़ टिप ऑफ दि आइस-बर्ग ही दिखाने की कोशिश की है। इस किताब के पन्नों को पलटते हुए आप जिस अनुभव से गुज़रेंगे उसे लफ़्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता।” – नीरज गोस्वामी

  • Hardcover: 208 pages
  • Publisher: Vani Prakashan
  • ISBN-10: 9387330869
  • ISBN-13: 978-9387330863

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पोषम पा
सहज हिन्दी, नहीं महज़ हिन्दी...