विवरण: एक तरह का उद्वेलन। बिना कहे रह न पाने की मजबूरी। जैसा कि अक्सर यात्राओं में होता है। राह में कहीं फूल मिले तो कहीं काँटे। कहीं चट्टानें अवरोधक बनीं तो कहीं शीतल बयार ने राहें सुगम बना दीं। यात्रा में अपने अनुभवों, विचारो एवं भावों को अपनी अभिन्न सहेली ‘डायरी’ के सादे पन्नों पर सँजोती रही। रोज़-ब-रोज़ ये पन्ने सतरंगी भावों से सजते चले गये। इन्हीं में से कुछ पन्नों ने इस पुस्तक का रूप धारण कर लिया है।
- Format: Hardcover
- Publisher: Vani Prakashan (2018)
- ISBN-10: 9387648729
- ISBN-13: 978-9387648722
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