पहले तो नेज़े ख़्वाब में बोया करेंगे रात दिन
आँखों से अपनी ख़ून फिर धोया करेंगे रात दिन
हम तितलियों के पँख पे धारें लगा के नींद की
इक शहर-ए-नौ के ख़्वाब में छोड़ा करेंगे रात दिन
बेदार रह कर भी हमें ख़्वारी मिली सो तय किया
मौत आ न जाए जब तलक सोया करेंगे रात दिन
तुम इक जवाब-ए-मुख़्तसर का हम से जो वा’दा करो
हम इक सवाल-ए-वस्ल ही सोचा करेंगे रात दिन