1902 में जन्में महान अमेरिकी अश्वेत लेखक लैंग्स्टन ह्यूज़ की लगभग लोकगीत बन चुकी कविता हार्लेम (Harlem) पढ़ने के बाद
सपनों को स्थगित करना
होता है पुरानी चोट जैसा
ठीक न होने की निराशा में
जिसे जानबूझकर
भूल जाना चाहते हैं
यह सुबह का भूलना
शाम को लौटना होता है
भूलने और याद करने की
कश्मकश में सपने
पेंडुलम बने रहते हैं
सपनों को स्थगित करना
किसी रात भूखे पेट
सोने जैसा होता है
कई बार सिगरेट के
अमल जैसा कुछ
बस पा लेने का मन करता है
लेकिन हर बार दिमाग
चाहत के आवेग को
सुला देता है थपकी देकर
सपनों को स्थगित करना
कई बार जीने की इच्छाओं को
स्थगित करना भी होता है
सपने स्थगित करते-करते
हम अपने आप से कितनी दूर
खिसक गए हैं… नापना मुश्किल है!