पहाड़ से सीधे लम्बवत गिरती नदी
बनाने वाले बच्चे नहीं जानते
नाला बनकर सूख जाएगी
नदी यह एक दिन

छोटी इ, बड़ी ई पढ़ने वाले
बच्चे बिल्कुल नहीं समझते
छोटा-बड़ा बस दो भागों में
बँट जाएगा संसार

डेका, हेक्टा, किलो सीखते
बच्चे कभी नहीं जान पाते
टन-भर बोझ क़ाबिज़ हो जाएगा
उन पर एक दिन

गोल दुनिया की भूलभुलैया में
सीधे रास्तों पर टेढ़ी चाल चलाकर
कोई बचपन पकाकर प्रौढ़
बना जाता है एक दिन
जैसे ख़रगोश को पहुँचा देते हैं
बच्चे गाजर तक!