‘Sooraj Ki Kiranein’, a poem by Aashutosh Panini

पता नहीं कितनी दूर से,
आती हैं सूरज की किरणें
धरती पर अपनी छटा बिखेरने
यहाँ के कण-कण में,
उमंग का रंग घोलने।
असंख्य आवरणों को चीरती हुई
रोज ही आतीं, पर कभी थकती नहीं
न ही दिग्भ्रमित होतीं,
रोज़ अपना लक्ष्य बुनतीं
फिर उसे भेदती
उसी गति, उसी चमक से
और हम?

आशुतोष पाणिनि
कवि, पर्यावरण-प्रेमी, भेषज-विज्ञानी, लोक-स्वास्थ्य एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता ।