Tag: Akarsh Shukla

सुबह

सुबह जवान है उजली है आपाधापी में व्यस्त है सुबह के पास नहीं है पूरे दिन का अनुभव, इसलिए तारुण्य में मस्त है समय की हर ईकाई से कदम कदम की रुखाई से करती...

परस्पर

कवि के पास होती है, आधी कविता, आधा व्यक्तित्व, कि आधे व्यक्तित्व को पालती है कविता, कि आधी कविता को पालता है व्यक्तित्व, और ये तब तक चलता है जब...

चाचा नेहरू को आमंत्रण

चाचा नेहरू! सुन तो रहे हो ना? सफेद शेरवानी में अच्छे दिखते हो, लेकिन, क्या तुम्हें पता चला, उन सात रंगों के बारे में, अरे वही सात रंग, जो आज़ाद...

धुँधलका

मैं देख पा रहा हूँ, सर्द हवाओं का सहलाना अलाव का मुस्कुराना हाथ फैलाये खड़े लोग जैसे कोई शाही भोज हवा में तैरती बातें पुआल पे सोती रातें धीमी-धीमी सी आवाज़ 'ठंडी...
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