Tag: Andheron Ka Hisab
आदमी है बन्दर
'Aadmi Hai Bandar', a poem by Jitendra
आदमी है बन्दर
बाहर से जाने कैसा
और जाने कैसा अन्दर!
तरह-तरह से नाच रहा है आकाओं के आगे
उछल-कूदकर दिखा रहा...
कह दो, क्या यह नहीं किया है?
निज वैभव के बल से तुमने—
कह दो,
क्या यह नहीं किया है?
मानव से मैला ढुलवाकर
उसे पशु से हीन समझकर
तिरस्कार कर नित ठुकराकर
क्या अछूत तक नहीं...