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ख़िलाफ़त

रूपम मिश्रा की कविता 'ख़िलाफ़त' | 'Khilafat', a poem by Rupam Mishra हम उसे बुरा नहीं कहेगें साथी! क्योंकि हमने ही उसे अच्छा कहा था! वो बारी-बारी...
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