Tag: Dayanand Roy
प्रेम जब तक देह
प्रेम जब तक देह
तब तक स्थूल
जब सूक्ष्म तब आत्मा
और इस आत्मा के साथ अनुभूति की सांद्रता
यही वो सिरा है जहाँ से उठकर
मैं तुम तक...
कविता नहीं जली
मैंने ख़ुद को जलाया
राख होने तक
पर कविता नहीं जली
उल्टा उग आये कविता में नये फूल, नया राग
और मैं उस राग में गाने लगा
मेरे गीतों में...