Tag: Fascism

Pankaj Singh

तुम किसके साथ हो

दहकती हुई चीज़ों के आर-पार तेंदुए की तरह गुर्राता, छलाँगें मारता गुज़रता है समय देखो सब कुछ कैसा दहक रहा है जली हुई चीज़ें चमकदार कोयला बन रही...
Rajesh Joshi

मारे जाएँगे

'Maare Jaenge', a poem by Rajesh Joshi जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे जो विरोध में बोलेंगे जो सच-सच...
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