Tag: Hindi Letter

Jainendra Kumar, Premchand

प्रेमचंद का जैनेन्द्र को पत्र – 1, सितम्बर, 1933

जागरण कार्यालय, 1 सितम्बर, 1933 प्रिय जैनेन्द्र, तुम्हारा पत्र मिला। हाँ भाई, तुम्हारी कहानी बहुत देर में पहुँची। अब सितम्बर में तुम्हारी और 'अज्ञेय' जी की,...
Abraham Lincoln

शिक्षक को पत्र

'शिक्षक को पत्र' - अब्राहम लिंकन सम्माननीय सर... मैं जानता हूँ कि इस दुनिया में सारे लोग अच्छे और सच्चे नहीं हैं। यह बात मेरे...
Meera, Woman

पगली का पत्र

"मैं तो प्यारे! तुमको सब जगह पाती हूँ, तुमसे हँसती-बोलती हूँ, तुमसे अपना दुखड़ा कहती हूँ, तुम रीझते हो तो रिझाती हूँ, रूठते हो तो मनाती हूँ। आज तुम्हें पत्र लिखने बैठी हूँ। तुम कहोगे, यह पागलपन ही हद है। तो क्या हुआ, पागलपन ही सही, पागल तो मैं हुई हूँ, अपना जी कैसे हल्का करूँ, कोई बहाना चाहिए.."
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