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Ibne Safi

यूँही वाबस्तगी नहीं होती

यूँही वाबस्तगी नहीं होती दूर से दोस्ती नहीं होती जब दिलों में ग़ुबार होता है ढंग से बात भी नहीं होती चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है चाँद...
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