Tag: Iftikhar Arif
एक ख़्वाब की दूरी पर
इक ख़्वाहिश थी
कभी ऐसा हो
कभी ऐसा हो कि अंधेरे में
(जब दिल वहशत करता हो बहुत
जब ग़म शिद्दत करता हो बहुत)
कोई तीर चले
कोई तीर चले...
एक उदास शाम के नाम
अजीब लोग हैं
हम अहल-ए-एतिबार कितने बदनसीब लोग हैं
जो रात जागने की थी, वो सारी रात
ख़्वाब देख-देखकर गुज़ारते रहे
जो नाम भूलने का था, उस एक...