Tag: Old Age
प्रेम को झुर्रियाँ नहीं आतीं
बुढ़िया ने गोद में रखा
अपने बुड्ढे का सिर
और मालिश करने लगी
सिर के उस हिस्से में भी
जहाँ से
बरसों पहले विदा ले चुके थे बाल
दोनों को...
सीनियर सिटिज़न उर्फ़ सिक्सटी प्लसजी
अब तो करवा लो बीमा। महँगा नहीं है। टीवी पर इंश्योरेंस वाले भाईसाहब दिन-भर अपनत्व भरा उलाहना देते रहते हैं। ड्राइंगरूम के काउच पर...
पलंग
उस साल जब पलाश की नंगी छितरी शाखों पर पहला फूल खिला, तब माँ पूरी तरह स्वस्थ थी। जब पूरा पेड़ दहकता जंगल बन...
बीना अम्मा के नाम
दिन के दूसरे पहर
जब सो चुका होता दुआरे का शमी
महुए थक जाते किसी बिसाती की बाट जोहते हुए
पोखरे का पानी ठहर जाता गरड़िये के...
मेले
बाप की उँगली थामे
इक नन्हा-सा बच्चा
पहले-पहल मेले में गया तो
अपनी भोली-भाली
कंचों जैसी आँखों से
इक दुनिया देखी
ये क्या है और वो क्या है
सब उसने पूछा
बाप...
रेहन पर बीमार बूढ़ा
बीमार बूढ़े के दोनों पैर बंधे हैं अस्पताल के पलंग से
इलाज का बिल चुकाए बिना कहीं वह देह से फ़रार न हो जाए
हाथ उसके...
तीसरा हाथ
एक दिन
कातर हृदय से,
करुण स्वर से,
और उससे भी अधिक
डब-डब दृगों से,
था कहा मैंने
कि मेरा हाथ पकड़ो
क्योंकि जीवन पन्थ के अब कष्ट
एकाकी नहीं जाते सहे
और तुम भी...
दादी माँ
'Dadi Maa', a poem by Kailash Manhar
सीलन भरी कोठरी के
अँधेरे कोने में
कुछ चिथड़े बिखरे हैं
लाल, पीले, काले, सफ़ेद
सादे और फूलोंदार
घाघरे लूगड़ी और
सूती धोतियाँ पेटीकोट
कुछ अपने...
उम्र के साथ-साथ
'Umr Ke Sath Sath', a poem by Nirmal Gupt
उम्र चेहरे तक आ पहुँची
कण्ठ में भी शायद
जिह्वा पर अम्ल बरक़रार है
शेष है अभी भी हथेलियों...
साठ पार का आदमी
'Saath Paar Ka Aadmi', a poem by Nirmal Gupt
साठ पार के आदमी को
घुटने मोड़ कर चारपाई पर बैठे रहना चाहिए
उठते-बैठते हर बार
ज़ोर से कराहना...
मुझे मत दिखाना अपनी दया
'On Aging', a poem by Maya Angelou, from 'And Still I Rise'
अनुवाद: अनुराग तिवारी
जब तुम मुझे ऐसे शांत बैठे देखोगे
जैसे अलमारी में छूटा कोई...
चाय की दुकान और बूढ़ा
नुक्कड़ वाली चाय की दुकान में, सुबह,
मुँह अँधेरे ही आ जाती है
जब एक बीमार बूढ़ा
वहाँ चला आता है
अपने पाँव घसीटता।
एक ठण्डी रात में से गुज़रकर
ज़िन्दा...