Tag: Prakash
पता
मैंने उसे ख़त लिखा था
और अब पते की ज़रूरत थी
मैंने डायरियाँ खँगालीं
किताबों के पुराने कबाड़ में खोजा
फ़ोन पर कई हितैशियों से पूछा
और हारकर बैठ...
होने की सुगन्ध
यही तो घर नहीं और भी रहता हूँ
जहाँ-जहाँ जाता हूँ, रह जाता हूँ
जहाँ-जहाँ से आता हूँ, कुछ रहना छोड़ आता हूँ
जहाँ सदेह गया नहीं
वहाँ...