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Ravindranath Tyagi

हमारा प्राचीन साहित्य

अपने प्राचीन साहित्‍य से मेरा अभिप्राय अपने उस साहित्‍य से है जो कि प्राचीन है। हमारा प्राचीन साहित्‍य मुख्‍यतः संस्‍कृत में है और उसे...
Ravindranath Tyagi

अच्छी हिन्दी

"एक तो हमारा व्‍याकरण ही कुछ गलत है। अब यह कोई बात हुई कि 'घड़ी' का पुल्लिंग 'घड़ा' होता है और 'संतरी' का 'संतरा'। यूँ कभी-कभी संतरी भी पु‍ल्लिंग होता है पर कुछ कम। छोटी-सी 'शंका' हो तो जान-बूझकर भी आप उसे 'लघुशंका' नहीं कह सकते।" "वह जब भी किसी कन्या से अपनी ‘टंग’ दिखाने को कहता था तो कुछ इस अंदाज से कहता था कि लड़की जो होती थी वह जीभ के स्‍थान पर शरमाते-शरमाते अपनी ‘टाँग’ दिखाती थी। थोड़े अनुभव के बाद स्थिति यह हो गयी कि टाँगों का विशेषज्ञ वह खूबसूरत और नौजवान डॉक्टर अपनी गलती समझ गया और अब वह उन बालिकाओं से ‘जुबान’ दिखाने को कहने लगा। मगर यहाँ फिर वही हादसा हो गया। वह लड़की की ठुड्डी पकड़ता, उसकी चितवन से चितवन मिलाता और बहुत धीमे से कहता कि ‘हम तुम्हारा जोबोन (जुबान) देखना माँगता।’ एकाध लड़की ने अपना जोबोन (जोबन) उसे दिखा भी दिया जिसके फलस्वरूप वह गरीब उस इलाके से कहीं दूर चला गया। उसके चले जाने से उस क्षेत्र की युवतियाँ काफी दु:खी रहीं।"
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