Tag: Shalabh Shriram Singh

Shalabh Shriram Singh

जीवन बचा है अभी

जीवन बचा है अभी ज़मीन के भीतर नमी बरक़रार है बरक़रार है पत्थर के भीतर आग हरापन जड़ों के अन्दर साँस ले रहा है! जीवन बचा है अभी रोशनी...
Shalabh Shriram Singh

प्यार

प्यार था मुस्कान में, चुप्पी में यहाँ तक कि खिड़की में भी प्यार था! अंधेरे में काँपता छाया की तरह धूप में सावधान करता राहों के ख़तरों से बार-बार प्यार था। झरता...
Woman, Statue, Upset

स्त्री का अपने अंदाज़ में आना

सुबह की ताज़ा हवा की तरह आती है एक स्त्री आती है एक स्त्री आँधी की तरह उमस और घुटन की तरह आती है एक स्त्री। पत्ती...
Shalabh Shriram Singh

जिस दिन

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे अपनों से दूर हो जाओगे जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे नौकरी से हाथ धो बैठोगे जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे प्यार करने वाले हवा...
Shalabh Shriram Singh

औरों की तरह नहीं

अपने पिता की तरह कैसे कर सकता हूँ प्यार मैं? अपने भाई की तरह कैसे? कैसे कर सकता हूँ प्यार अपने पुत्र की तरह? मित्र की तरह...
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