Tag: Shambhunath Singh
पास आना मना
पास आना मना
दूर जाना मना,
ज़िन्दगी का सफ़र
क़ैदख़ाना बना।
चुप्पियों की परत
चीरती जा रही
चीख़-चीत्कार
बेइन्तिहा दूर तक,
पत्थरों के बुतों में
बदलने लगे
साँस लेते हुए
सब मकाँ दूर तक
भागकर आ...
देखेगा कौन?
बगिया में नाचेगा मोर,
देखेगा कौन?
तुम बिन ओ मेरे चितचोर,
देखेगा कौन?
नदिया का यह नीला जल, रेतीला घाट,
झाऊ की झुरमुट के बीच, यह सूनी बाट,
रह-रहकर उठती...