Tag: Shamsur Rahman Faruqi

Shamsur Rahman Faruqi

जो उतरा फिर न उभरा, कह रहा है

जो उतरा फिर न उभरा, कह रहा है ये पानी मुद्दतों से बह रहा है मेरे अन्दर हवस के पत्थरों को कोई दीवाना कब से सह रहा है तकल्लुफ़...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)