Tag: Shivam Chaubey
नदी
1
घर से निकलकर
कभी न लौट पाने का दुःख
समझने के लिए
तुम्हें होना पड़ेगा
एक नदी!
2
नदियों की निरन्तरता
को बाँध
उनका पड़ाव निर्धारित कर
मनुष्य ने देखा है
ठहरी हुई नदियों...
तुम ही थीं न
मैं इलाक़े के आख़िरी छोर पर
झंखाड़ की तरह उगा था
तुम मेरी आस्तीन में
नीला फूल बनकर खिली थीं
तुम ही थीं
जिसने तितली की शक्ल में
डुबोया था मुझे...
नींद
1
घावों से भरे घर में
मरहम की एक डिबिया है
जो वक़्त पर कभी नहीं मिलती
और अंधेरे में
छटपटाता रह जाता है ज़ख़्मी मन।
2
एक बहती हुई धार में
कुछ दूर...
कायरों का गीत
शोर करोगे! मारेंगे
बात कहोगे! मारेंगे
सच बोलोगे! मारेंगे
साथ चलोगे! मारेंगे
ये जंगल तानाशाहों का
इसमें तुम आवाज़ करोगे? मारेंगे...
जो जैसा चलता जाता है, चलने दो
दीन-धरम के नाम...
कभी न लौटने के लिए मत जाना
सुनो!
जब जाना तो इस तरह मत जाना
कि कभी लौट न सको उन्हीं रास्तों पर वापस
जाते हुए गिराते जाना रास्ते में ख़त का पुर्ज़ा, कोई...
पृथ्वी
1
पृथ्वी!
एक बुढ़िया की
मटमैली-सी गठरी है
जो भरी हुई है
कौतूहल से
उम्मीद से
असमंजस से
प्रेम से।
जिसमें कुछ न कुछ खोजने के बाद भी
हर बार
बचा ही रह जाता है
कुछ...
पेड़
1
आसमान और धरती के बीच
छिड़े युद्ध में
पेड़ पृथ्वी के सिपाही हैं
जब कभी आसमान से गिरता है सैलाब
पेड़ ही बचाते हैं पृथ्वी के किनारे
मुझे नहीं...