Tag: Shivmangar Singh Suman

Shivmangal Singh Suman

पर आँखें नहीं भरीं

कितनी बार तुम्हें देखा पर आँखें नहीं भरीं सीमित उर में चिर असीम सौन्दर्य समा न सका बीन मुग्ध बेसुथ कुरंग मन रोके नहीं रुका यों तो कई बार पी-पीकर जी...
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