कविताएँ | Poetry
संस्कृत कविता: ‘विवशता’ – सीताराम द्विवेदी
‘विवशता’ – सीताराम द्विवेदी जब जब मैंने, धरती पर, सनी धूल में, शोकालीन लता को चाहा- फिर से डालना बाँहों में वृक्ष की, तभी आँधी के झौंके से धूल भरी- आँखें हो गयीं लाल। थोड़ा Read more…
‘विवशता’ – सीताराम द्विवेदी जब जब मैंने, धरती पर, सनी धूल में, शोकालीन लता को चाहा- फिर से डालना बाँहों में वृक्ष की, तभी आँधी के झौंके से धूल भरी- आँखें हो गयीं लाल। थोड़ा Read more…